पटना. बिहार विधानपरिषद की 24 सीटों के लिए संपन्न हुए चुनाव में जातीय समीकरण के लिहाज से बड़ा बदलाव नजर आया. RJD की राजनीति के दृष्टिकोण से देखा जाए तो बिहार का राजनीतिक समीकरण बदलता हुआ नजर आ रहा है. 24 सीटों का चुनाव परिणाम यह साबित करता है कि 4 समूहों ने मिलकर बाजी मार ली है. तीन दशकों की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ है जब राजद ने अपनी चाल और रणनीति दोनों बदली है. तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के रास्ते से अलग करते हुए परंपरागत समीकरण से जुदा लेकिन खास रणनीति बनाई थी. खासकर तेजस्वी यादव ने 10 सवर्णों को टिकट दिया था, जिसमें 5 भूमिहार प्रत्याशी थे. इनमें से 3 चुनाव जीतकर विधानपरिषद पहुंचने में सफल रहे. सफलता की बात करें तो यह 60% से अधिक रहा.
राजद के कुल 6 नवनिर्वाचित सदस्यों में 3 भूमिहार जाति से हैं. दूसरी तरफ पार्टी ने 10 यादव और 1 मुस्लिम को भी विधानपरिषद का टिकट दिया था, लेकिन 10 में से केवल 1 यादव उम्मीदवार को ही जीत नसीब हुई. यह पहला मौका है जब राष्ट्रीय जनता दल ने किसी चुनाव में सवर्णों को साथ लेकर चलने की कोशिश की है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर आरजेडी ने आगे इसी तरीके से अपनी रणनीति बनाए रखी तो वह भाजपा के लिए बड़ी चुनौती पेश कर सकता है. पिछले लोकसभा चुनाव के पहले से ही तेजस्वी यादव राष्ट्रीय जनता दल को ए टू जेड की पार्टी बता रहे थे. हालांकि, टिकट वितरण में ऐसी कोई बात देखने को नहीं मिली थी, लेकिन विधानपरिषद चुनाव में उन्होंने रणनीति बदली और काफी हद तक सफल भी रहे.
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नई जातीय समीकरण के संकेत
चुनावी सभाओं में पार्टी समर्थकों के बीच जाकर उन्हें समझाया और नए दौर की राजनीति की ओर संकेत भी दिया था. तेजस्वी यादव जैसा समीकरण बनाना चाह रहे अगर वास्तव में उसमें वह सफल हो गए तो बिहार की राजनीति में दो प्रभावशाली जातियों यादव और भूमिहार के साथ अन्य को शामिल करते हुए नया राजनीतिक समीकरण बनाया जा सकता है.
सवर्णों का प्रदर्शन बेहतर
बिहार विधानपरिषद की 24 सीटों में टिकट वितरण के लिहाज से देखा जाए तो यह स्पष्ट होता है कि सभी पार्टियों ने सभी जातियों का ख्याल रखा. वैसे जीत में सवर्णों की बड़ी भागीदारी रही. 24 सीटों में 12 सीट पर केवल भूमिहार और राजपूत जाति के प्रत्याशियों ने बाजी मारी. दोनों जातियों के 6-6 उम्मीदवार इस चुनाव में पताका फहराते नजर आए. वैश्य समुदाय से भी 6 प्रत्याशियों का भाग्य खुला. वैसे दूसरे समुदाय से भी 6 प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे. 5 सीट पर यादव और 1 सीट पर ब्राह्मण प्रत्याशी विजयी रहे. दूसरी जातियों के प्रत्याशियों को कोई कामयाबी नहीं मिली. मुस्लिम प्रत्याशियों का तो खाता तक नहीं खुला. सबसे ज्यादा भूमिहार और राजपूत प्रत्याशी भाजपा से जीते.
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Tags: Bihar election, RJD leader Tejaswi Yadav
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