पटना. बिहार विधानपरिषद चुनाव 2022 के नतीजों का असर प्रदेश सरकार पर नहीं पड़ेगा, लेकिन 24 सीटों के लिए हुए चुनाव ने कई महत्वपूर्ण और दूरगामी राजनीति संकेत दिए हैं. इन्हीं में से एक है बिहार की राजनीति में पैठ का मामला. विधानसभा चुनाव के बाद बिहार में सबसे बड़ा चुनाव संपन्न हुआ. विधानपरिषद की 24 सीटों के लिए हुए चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं. आंकड़ों के आधार पर तुलना की जाए तो तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड पर भारी पड़ी है. RJD के प्रत्याशी विधानपरिषद की 6 सीटों पर चुनाव जीतने में सफल रहे. वहीं, नीतीश कुमार की पार्टी JDU के खाते में 5 सीटें गईं. इस तरह राजद को जदयू से 1 सीट ज्यादा मिली.
राजद ने लगातार 2 बड़े चुनावों में जेडीयू पर बढ़त बनाया है. साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा के चुनाव में भी RJD को JDU से ज्यादा सीटें मिली थीं. अब विधानपरिषद के चुनाव में भी राष्ट्रीय जनता दल ने जदयू पर बढ़त बनाई है. हालांकि, बिहार एमएलसी चुनाव में जेडीयू की सहयोगी भाजपा को 7 सीटें मिली हैं और सबसे ज्यादा सीट जीतने के मामले में बीजेपी शीर्ष पर है. कांग्रसे के खाते में भी 1 सीट गई है. वहीं, निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी इस बार के विधानपरिषद चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया है. इस बार 4 सीटें निर्दलीय के खाते में गई हैं. वहीं, एनडीए की सहयोगी पशुपति पारस की रालोजपा ने 1 सीट पर जीत हासिल की है.
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RJD ने उतारे थे 23 प्रत्याशी
विधानपरिषद के चुनाव में तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी ने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे. राजद की ओर से 23 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था. वहीं, जेडीयू ने 11 प्रत्याशियों को टिकट दिया था, जबकि सहयोगी पार्टी भाजपा ने 12 सीटों पर चुनाव लड़ा था. चुनावी करार के तहत केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के खाते में 1 सीट गई थी.
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