बरहट (जमुई). गर्मी का मौसम आते ही हर तरफ पानी की चर्चा होने लगती है. जलस्तर नीचे चले जाने से होने वाली परेशानियां आम हो जाती हैं. कुआं और हैंडपंप सूखने लगते हैं और लोग पानी के लिए भटकने को मजबूर हो जाते हैं. इसके बाद लोग जल संरक्षण को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर करने लगते हैं. तपती गर्मी में जल संकट की समस्या को लेकर सरकारी और गैर सरकारी मंचों से लोगों को जागरूक करने की तमाम कोशिशें की जाती हैं. इन सबके बीच जमुई जिले का एक गांव सबके लिए मिसाल पेश कर रहा है. यहां के लोग बीते कई दशक से जल संरक्षण को लेकर जागरूक हैं. स्थानीय लोगों की भूजल को लेकर जो सोच है, उसकी हर कोई तारीफ करता है.
दरअसल, जमुई जिले के बरहट प्रखंड के केड़िया गांव के किसान खेतों की सिंचाई कुआं से ही करते हैं. इस गांव में जमीन को छेद कर डीप बोरिंग कर पानी निकालने पर पाबंदी है. यह पाबंदी किसी और ने नही बल्कि ग्रामीणों ने खुद लगाई है, ताकि भविष्य में उन्हें पानी के लिए परेशान न होना पड़े. यही कारण है कि यहां के भूजल का स्तर काफी ऊपर है. सरकारी तौर पर सिंचाई सुविधा बहाल करने के लिए हर जगह डीप बोरिंग होती है, लेकिन इस गांव के लोग सरकारी विभाग और अधिकारी से बोरिंग के बजाए कुएं की मांग करते हैं, क्योंकि यहां के लोग भूजल को संरक्षित रखना चाहते हैं.
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50 से अधिक कुआं
लगभग 250 एकड़ रकबा वाले इस गांव में 50 से अधिक कुएं हैं. केड़िया गांव के ज्यादातर किसान अपने खेतों में जैविक तकनीक से खेती करते हैं, जहां ऑर्गेनिक कीटनाशक और खाद का उपयोग किया जाता है. इन किसानों की सोच है कि इनके खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति को नुकसान न पहुंचे और साथ ही गांव का जलस्तर बना रहे. सिंचाई के लिए पानी की कभी दिक्कत न हो, इसलिए बोरिंग करने की मनाही है. इसका नतीजा है कि जहां गर्मी में दूसरे जगह का जलस्तर काफी नीचे चला जाता है, वहीं इस गांव में गर्मी के मौसम में भी वाटर लेवल 15 से 20 फीट रहता है. गर्मी के मौसम में भी इस गांव का कोई कुआं नहीं सूखता है. इस गांव में हर फसल की उपज बेहतर होती है.
ग्रामीण बताते हैं वजह
गांव में बोरिंग की मनाही के बारे में बुजुर्ग किसान आनंदी यादव ने बताया कि उनके गांव में जमीन के 30 फीट नीचे पानी चल रहा है. उसके नीचे पत्थर है. वह बताते हैं कि हमलोग बोरिंग इसलिए नहीं करते हैं कि अगर बोरिंग करेंगे तो पहाड़ में छेद हो जाएगा और छेद हो जाएगा तब पानी नीचे चला जाएगा. यही वजह है कि जमीन के अंदर छेद कर पानी निकालने का काम नहीं करते हैं. खेती का सारा काम कुआं से ही होता है. इसी गांव के किसान राजकुमार यादव ने बताया कि दूसरे गांव में जहां बोरिंग है, वहां गर्मी में कुएं सूख जाते हैं, हमारे गांव में ऐसा नहीं होता है. यहां के किसानों की इस सोच को सरकार ने भी बल दिया है, जिसका नतीजा यह है कि बीते साल यहां लाखों रुपये खर्च कर 13 नए कुएं खुदवाए गए और पुराने कुओं का जीर्णोद्धार कराया गया.
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Tags: Jamui news, Water conservation
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