पटना. हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के विवादास्पद बयान पर पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने उन्हें आड़े हाथों लिया है. सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए पुरखों पर सवाल उठाना उचित नहीं है. श्रीराम को काल्पनिक बताना, वाल्मीकि, शबरी, केवट और लव-कुश का अपमान है.
बता दें कि जीतन राम मांझी ने जमुई के सिकंदरा के लछुआर में बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मंच से कहा था कि माता शबरी के जूठे बेर भगवान राम ने खाए थे, लेकिन अब बड़े लोग हमारा छुआ हुआ भी नहीं खाते हैं. उन्होंने कहा था कि वे महर्षि वाल्मीकि और तुलसीदास को मानते हैं, लेकिन राम को नहीं मानते.
जीतन राम मांझी के इस बयान के बाद आज सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट करके उन्हें करारा जवाब दिया है. सुशील मोदी ने कहा कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए पुरखों पर सवाल उठाना उचित नहीं है. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय इतिहास, संस्कृति और परम्परा के नायक ही नहीं, हमारे पुरखे भी हैं. उन्होंने कहा कि जिन दलों या लोगों ने क्षुद्र राजनीतिक हितों के दबाव में ऐसे बयान दिए, वे राम-भक्त समाज के चित्त से ही उतर गए.
सुशील मोदी ने कहा कि जो श्रीराम को काल्पनिक बताने का दुस्साहस कर रहे हैं, वे दरअसल आदि कवि वाल्मीकि, उनके आश्रम में पले सीतापुत्र लव-कुश, निषादराज केवट और भक्त शिरोमणि शबरी को भी नकारने की कोशिश कर रहे हैं. यह कहना हास्यास्पद ही है कि कोई स्वयं को शबरी का पुत्र बताए, लेकिन माता शबरी ने जिनकी भक्ति से संत समाज में अक्षय कीर्ति पाई, उस महानायक श्रीराम को ही काल्पनिक बता दे. आस्था पर चोट और समाज को बांटने की ऐसी ओछी राजनीति कभी सफल नहीं होगी.
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Tags: Bihar politics, Jitan ram Manjhi, Sushil Modi
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