मुन्ना राज
बगहा (पश्चिम चंपारण). बिहार के पश्चिम चंपारण से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. जिले के बगहा में एक बाघिन को 2 शावकों के साथ विचरते हुए देखा गया है. दियारा क्षेत्र में बाघिन को शावकों के साथ आजाद घूमते देख किसानों में दहशत है. वे फसल काटने जाने से भी डरने लगे हैं. किसानों का कहना है कि खेतों में लगी फसलें पक चुकी हैं, लेकिन बाघिन के डर के कारण मजदूर नहीं आ रहे हैं. किसानों का आरोप है कि वन विभाग को भी इसकी जानकारी दी गई. वन विभाग की टीम आई भी लेकिन ठीक तरह से बाघिन और उसके शावकों की तलाश नहीं की जा रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि बाघिन जिस इलाके में डेरा जमाए बैठी है, उस क्षेत्र में तलाश की ही नहीं जा रही है.
दरअसल, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से लगते क्षेत्रों में अक्सर वन्य प्राणियों का मूवमेंट बना रहता है. इस बार बाघिन अपने दो शावकों के साथ पिपरासी प्रखंड के कुछ क्षेत्रों में भ्रमण कर रही है. मदरहवा और कठहवा रेता में बाघिन और इसके दो शावकों को ग्रामीणों ने देखा है. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, खेतों में काम करने गए किसानों ने बाघिन को देखा है. बाघिन अपने 2 शावकों के साथ थी. बाघिन के मूवमेंट के बाद क्षेत्र में दहशत है. बाघिन के पैरों के निशान के अलावा शावकों के भी पैरों के निशान देखे गए हैं. पैरों के निशान ये बताने के लिए काफी हैं कि क्षेत्र में बाघिन और इसके दो शावक मौजूद हैं.
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ग्रामीणों का आरोप
ग्रामीणों की सूचना के बाद वन विभाग की टीम गांव पहुंची थी, लेकिन लोगों ने आरोप लगाया है कि विभाग के लोग जहां पर बाघिन डेरा जमाए हुए है वहां पर किसी तरह से ट्रैक करने का प्रयास नहीं कर रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि अगर ड्रोन का इस्तेमाल किया जाए तो बाघिन के मूवमेंट का पता चल सकता है. फिलहाल ड्रोन की मदद नहीं ली जा रही है.

दियारा क्षेत्र में बाघिन और उसके शावकों के पैरों के निशान देखे गए हैं. (न्यूज 18 हिन्दी)
किसानों के लिए मुसीबत
बाघिन के मूवमेंट से ग्रामीण दहशत के साथ मुसीबत में भी हैं. दअरसल, इन दिनों खेतों में एक ओर जहां सिंचाई की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ मूसली और गेहूं के फसल की कटाई भी की जा रही है. इन सबके बीच बाघिन के मूवमेंट के कारण किसानों की समस्याएं बढ़ गई हैं. गोदावरी देवी ने बताया कि 10 कट्ठा में मसूर की फसल पक कर तैयार है, लेकिन मजदूर बाघिन के डर के कारण उधर जा ही नहीं रहे हैं. अन्य लोगों के भी गेहूं की फसल तैयार है, लेकिन उसकी कटाई नहीं हो पा रही है. उन्हें फसल के बर्बाद होने का डर सता रहा है. जहां पर बाघिन अपने शावकों के साथ डेरा जमाए हुए है, वहां से अलग किसान पूरी सुरक्षा के साथ खेती कर रहे हैं. कुछ लोग खेती कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग रखवाली कर रहे हैं।
शावकों को बचाने के लिए बाहर आती है बाघिन
जब भी कोई बाघिन मां बनने वाली होती है तो वह जंगल को छोड़कर पास में गन्ने के खेत को अपना ठिकाना बना लेती है. आमतौर पर बाघिन अपने बच्चों को बाघों से बचाने के लिए खेतों की तरफ चली आती हैं. वन संरक्षक डॉ. नेशामानी ने बताया कि शायद मां बनने के क्रम में वीटीआर से गन्ना के तरफ चली आई होगी. हालांकि अभी एक वयस्क के पैरों के निशान मिले हैं. उसी आधार पर सर्च किया जा रहा है.
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