कटिहार. इस्लाम धर्म में रमजान के महीने में रोजा रखना है बेहद जरूरी माना जाता है. ऐसे में रमजान के पाक महीने में खुदा की इबादत के लिए मुस्लिम समुदाय से जुड़े अधिकतर लोग रोजा रखते हैं. समाज में कई ऐसे लोग हैं जो मानवता को ही अपना पहला धर्म मानते हैं. कटिहार के एक रोजेदार ने अपनी इंसानियत धर्म को प्राथमिकता देते हुए बगैर किसी जान पहचान के एक जरूरतमंद महिला को रक्तदान कर मानवता की मिसाल पेश की है. सबसे खास बात यह कि उसने जिसकी मदद की उसके बारे में कुछ भी बताने से मना कर दिया क्योंकि उनका मानना है कि मानव धर्म का पालन करने की बात का प्रचार करने से उसके किए नेकी के कार्य पर असर पड़ेगा.
कटिहार लाल कोठी मोहल्ला के रहने वाले अजहर को उनके दोस्त प्रताप के माध्यम से पता चला कि डिलीवरी के दौरान कुछ क्रिटिकल हालात में शहर के एक निजी नर्सिंग होम में एक महिला ‘ओ- पॉजिटिव (O POSATIVE)’ खून के लिए जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रही है. फिर क्या था, अपने दोस्त की सूचना पर अजहर ने रोजा रोकते हुए नर्सिंग होम पहुंचकर उस जरूरतमंद महिला के लिए फरिश्ता बनकर रक्तदान किया.
अजहर कहते हैं कि रोजा छूटने का अफसोस तो है, लेकिन यह नेकी और बरकत का महीना भी है. उन्हें लगता है किसी जरूरतमंद के लिए समय पर काम आते हुए इंसानियत का फर्ज निभाना ही सबसे बड़ा धर्म है. अपने मित्र प्रताप के सूचना पर वह बिना किसी परिचय के ही उस जरूरतमंद महिला को जाकर रक्तदान किया है. सबसे खास बात यह कि अजर उस महिला के नाम पता के बारे में भी चर्चा करने से मना करते हुए कहते हैं इससे उसके द्वारा किए गए नेकी के काम पर असर पड़ेगा.
वहीं अक्सर रक्तदान को लेकर समाज को प्रेरित करने वाले अजहर के मित्र प्रताप उर्फ मोनू अपने मित्र की इस पहल को समाज के लिए एक नजीर बताते हुए कहते हैं, अगर हर कोई ऐसे ही इंसानियत का धर्म निभाने लगे तो धार्मिक आधार पर घृणा का वातावरण खत्म हो जाएगा और विकसित सोच वाले समाज निर्माण की दिशा में हम आगे बढ़ेंगे. बहरहाल, रामनवमी शोभा यात्राओं के बाद देश में फैल रहे नफरत के वातावरण के बीच अजहर की यह पहल एक नजीर बनकर सामने आई है.
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