मीम जाद फ़ज़ली
इस बात पर समूची दुनिया सहमत है कि कोरोना वायरस एक प्राकिर्तिक आपदा है जिस का अभी तक कोई उपचार संभव नहीं हो सका है। ऐसे में नरेंद्र मोदी ने अपनी नाकामी और असंवेदनशीलता को छुपाने के लिये सारा आरोप तब्लीग़ी जमात के सिर पर रख दिया है और गोदी मिडिया के माध्यम से देश भर की जनता को भ्रमित करने की शमर्नाक साजिश की जा रही है। किन्तु भगवा बिरिगेड शायद यह बात भूल गई है के अब गोदी मिडिया की ख़बरों पर देश की जनता विश्वाश नहीं करती। बल्कि वास्तविकता और सच्चाई जान्ने के लिए भारत के समझदार और धार्मिक कट्टरवाद से उकता चुके नागरिक अब यूटुब जैसे सोशल मिडिया चैनलों और विदेशी समाचर स्रोतों को ही वरीयता दे रहे है। हास्यास्पद बात यह है की विश्व स्वास्थ्य संगठन भी अब मोदी और भगवा सरकार की बातों पर भरोसा नहीं कर रहा है।
खैर हमें केंद्र की भाजपा सरकार से कोई शिकायत नहीं है, उसका कारण यह है कि हर प्रकार की विपदा और देश की संप्रभुता एकता अखंडता और अमन शांति के लिए अपने प्राणो की आहुती देदे तब भी मोदी सरकार देश के तीस करोड़ अल्पसंख्यकों को देशभक्त नहीं मानेगी, इस लिए कि इस सरकार ने देश भक्ति का सर्टिफिकेट देने के लिए जो वैचारिक क़ायदे कानून बना रखे हैं उस पर मुख्तार अब्बास नक़वी, मोहसिन रज़ा, उमैर इल्यासी, आरिफ मोहम्मद खान ,सुहैब क़ासमी और शाहनवाज़ हुसैन जैसे समाज और देश व धर्म के गद्दार ही पुरे उतर सकते हैं। इस परिस्तिथि में यदि केंद्र सरकार आपदा की घडी में भी मुसलमानों के साथ यदि पक्षपाती रवैया अपनाती है तो यह अप्रत्याशित नहीं है।
हमें तो अभी कुछ महीने पहले ही अल्पसंख्यकों के अपार समर्थन के नतीजे में अस्तित्व में आने वाली केजरीवाल सरकार पर अचरज है। दो माह पहले आर एस एस वर्सेस मुस्लिम दंगा (ज्ञात रहे कि पूर्वी दिल्ली में होने वाला दंगा सांप्रदायिक नहींए था बल्कि वह भगवा धारी शक्तियों द्वारा सुनियोजित दंगा था, जिस में चिन्हित कर के मुसलमानों और उन्हें सुरक्षा देने वाले हिन्दुओं को भी निशाना बनाया गया था) बहरहाल उस सुनियोजित दंगा के समय केजरीवाल ने दोषपूर्वक खामोशी की चादर तान ली थी और किसी भी दंगाई के विरुद्ध क़ानूनी लड़ाई लड़ने और निर्दोष दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए केजरीवाल ने अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया। वह हर प्रश्न के उत्तर में केवल इतना ही कहते रहे की दिल्ली पुलिस हमारे अधीन नहीं है, इस लिए हम कोई भी कदम न उठाने पर मजबूर हैं। पता नहीं निर्दोष दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए भी शायद अदालत जाना राज्य सरकार के अधीन होना आवश्यक हो? इस संतोषजनक उत्तर केजरीवाल ही दे सकते हैं। मगर तब्लीगी जमात के विरुद्ध छण भर में हि केजरीवाल ने प्राथमिकी दर्ज करा दी। यहाँ केजरीवाल से यह पूछना वाजिब बनता है की उत्तरपूर्वी दिल्ली में आर एस एस के गुंडों और दिल्ली पुलिस द्वारा निहत्ते और निर्दोष लोगों को धर्म के आधार पर चिन्हित ककर के अत्याचार करने, उनकी सम्पतियों को लूट लेने और आगा के हवाले कर के उन्हें रहत शिविरों में रहने पर मजबूर करदेने वालों के खिलाफ आम आदमी पार्टी के सारे नेता मंत्री और मुख्य मंत्री ने मौन व्रत क्यों रख लिया था। किन्तु आज प्रकृति ने नेताओं के कुकर्मों की सजा के रूप में जो महामारी हम भारतीयों के सिर पर गिराई है तो इस में भी दील्ली और केंद्र की सरकार जनता को छलने के लिए राजनीती खेल रही है। आज की भयावह परिस्तिथि में भी मानवता और करुणा का पाठ पढ़ाने वाली आम आदमी पार्टी का कोई भी नेता पीड़ितों और मुश्किल हालातों में अपनी जीवन लीला बचाये रखने की जुगत में कराह रही जनता का फोन उठाने को भी तैयार नहीं है। परन्तु मानव सेवा में तत्पर रहने का दवा करने वाले मुस्लिम विधान सभा सदस्य तो इस मामले में बिलकुल ही फिसड्डी हैं। मगर मिडिया के सामने आपदा की इस घडी में जनता की सेवा की लम्बी लम्बी डींगें हाँक रहे हैं जिस में दस प्रतिशत भी सच्चाई नहीं है, सब कुछ हवा हवाई ही है, अब दिल्ली के अल्पसंखयक समुदायों को यह यकीन होगया है की आम आदमी पार्टी से किसी भी प्रकार की भलाई और मदद की अपेक्षा करना फजूल है और दिल्ली का अल्पसंखयक समुदाय आम आदमी पार्टी द्वारा ठग लिया गया है। इस पार्टी की हकीकत यह है कि यह भाजपा की ही बी टीम है जिसे पहचानने में कहीं न कहीं हम चूक जरूर हुई है।
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